नारी हू मै कोमल मन ,कोमल काया, कोमल ह्रदये पाया,
मै ही अनन्त आकाश ,असीमित धरा मै ही ,
मै ही अनन्त आकाश ,असीमित धरा मै ही ,
ज्वालावो से जल ज्वाला बनी मै ,बांहों मै तेरी शांत निर्झरनी,
कोमल आँगन का हर कोना महकता भावों के पुष्पों से,
आँचल का हर कोना तेरी खुशियों से हरा भरा,
तुझ मै खुद को खुद मै तुझ को समेटना चाहती हूँ ,
तुझ मै खुद को समाहित कर पूण होना चाहती हूँ ,
नारी हू मै कोमलागी वेदना पीड़ा अपने मन की,
तुझ ने दी तुझे को ही अर्पित करना चाहती हूँ ,
क्या हुवा जो तुने जनम लिया मेरी कोख से,
तेरी परछाई बन तेरी मन की अभिमान बनाना चाहती हूँ ,
नारी हू मै अगले जनम नारी ही बनाना चाहती हूँ ,
तेरी हूँ तुझ को ही अर्पित होना चाहती हूँ .(इरा पाण्डेय )ऋतु दुबे ०७/०३/2011
महिला दिवस की पूर्व संध्या पर आप सभी महिलावो को समर्पित.महिला दिवस की शुभकामना .