मंगलवार, 17 जुलाई 2012

धीरे -धीरे ये वक़्त गुजरता जायेगा 
तेरी मधुर स्मृतियाँ मेरे मानस पटल से 
भोर के चाँद के मालिंद धुधली होती जाएगी 
समय का रवि ले लेगा अपने आगोश में उसे 
जिन्दगी की इस आपाधापी में 
तू इतिहास का एक पन्ना सा हो जायेगा 
मत कर इतनी रुशबयिया 
वरना तू भी मेरे जीवन का 
एक बोझिल शाम सा हो जायेगा .ऋतु दुबे १७/०७/12