रविवार, 16 सितंबर 2012

मौसम बदलता है प्यार नहीं

मिलने से पहले बिछुड़ने का मौसम आता है 
बहार से पहले पतझर का मौसम आता है 
जुदा होते है जर्द पत्ते जब शाख से 
नयी आशावो के नए कोपल आते है 
जो दामन छुड़ा लोगे तुम हम से 
मेरे कल्पना के नए राग छेड़ दोगे तुम 
लेकिन साज तुम ही होगे 
पत्ते वृक्ष बदला नहीं करते . ऋतु (इरा )

रविवार, 9 सितंबर 2012

तेरा साथ हो तो

तेरा साथ हो तो काँटों में चलाना आता है मुझे 
पथ में पत्थर बिखरे तो तो फूल बनाना आता है मुझे 
तपिस आदित्य की हो तो चांदनी रात बनाना आता है मुझे 
तेरा साथ हो तो .................................................
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नदियों को बहवो के बिपरीत बहाना आता है मुझे 
समुन्दर की लहरों को हाथो में ले खेलना आता है मुझे 
असमान से चाँद को जमी में लाना आता है मुझे 
एक तेरा साथ हो तो .........................................
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पत्थर से पानी निकलना आता है मुझे 
तेरे लिए सिर्फ तेरे लिए देवो को जमी पर उतरना आता है मुझे 
केक्टस में भी फूल खिलाना आता है मुझे !!
तेरा साथ हो तो ....................................
.......................................................ऋतु दुबे