मंगलवार, 17 जुलाई 2012

धीरे -धीरे ये वक़्त गुजरता जायेगा 
तेरी मधुर स्मृतियाँ मेरे मानस पटल से 
भोर के चाँद के मालिंद धुधली होती जाएगी 
समय का रवि ले लेगा अपने आगोश में उसे 
जिन्दगी की इस आपाधापी में 
तू इतिहास का एक पन्ना सा हो जायेगा 
मत कर इतनी रुशबयिया 
वरना तू भी मेरे जीवन का 
एक बोझिल शाम सा हो जायेगा .ऋतु दुबे १७/०७/12

सोमवार, 9 जुलाई 2012

विचारो के सागर में गोता लगा रही थी 
एक एक मोती चिंता के चुन रही थी 
न छोर न किनारा था 
मंजिल का न पता न ठिकाना था 
लहरों के थपेड़े ,थे अनजानी डगर थी 
समय पर की गयी गलतियों का 
चल रहा मेरे संग करवा था .ऋतु
रात भर मै चाँद को निहारती रही 
तारो को देखा इतराती रही 
चाँद भी मेरी इस मासूमियत पर 
रीझ गया ,शरमा के बदलो के पीछे छिप गया 
में उसे दिल की बात बताती रही 
वो मंद मंद मुस्कुराता रहा 
जो बयाँ न कर सकती अब तक 
मै प्रीतम के सामने 
दिल खोल के उसे दिखाती रही 
..............रात भर ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,ऋतु

शुक्रवार, 6 जुलाई 2012

Drritu Dubey
ऐ री सखी वो कब आयेगे 
दादुर सम्मलित स्वर में कब गायेगे 
कब चातक की प्यासा बुझेगी
कब पपीहे खुशियों के गीत गायेगा 
...................................... ऐ रे सखी 


फिर पनघट में होगी रौनक कब 
छल छल करेगी सरिता फिर कब 
मस्त पवन के झोके में मेहदी की खुशूब कब आएगी 
वीर बहूटी हरी घासों में कब छाएगी 
..........................................ऐ री सखी


उपवन मधुबन कब बन जायेगे 
झिगुर रातो में कब गायेगे 
कब चमेली की खुशूब से भरेगा मेरा आँगन 
सावन के झूलो में बहार कब आएगी 
...................................आर री सखी 


झरनों में यौवन कब छ्येगा 
प्रीत के दिन फिर कब आयेगे 
गोरी के गालो में अम्बर की लाली कब छाएगी 
अब के बरस सावन तू कब आएगा 
............................................ ऐ री सखी .
                                              ऋतु दुबे ०७ .०७.२०१२