महिला दिवस की पूर्व संध्या में आप सभी महिला मित्रो को बधाई छोटी सी ये कविता आप सभी को समर्पित ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सृजन से तू रची बसी है
भर से तू दबी दबी है
पंखा लगे है तुझको
फिर भी उड़ने से तू डरी डरी है .....
सृजन से तू ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
धरा सी तू संसार का भर लिए
जन्म देती संतानों को
न तुझे मिले रोटी का टुकड़ा
फिर भी दुध बहता तेरी
तेरी छाती से संतानों के लिए
सृजन से तू ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
बनता है पुरुष तुझे से महान
फिर भी तू है तुच्छ प्राणी सी
ज्ञान का भंडार होकर
अज्ञानता की मूरत बनती
सृजन से तू ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
शक्तिमान को जन्म देकर
शक्तिहीन तू जीवन जीती
सृष्टि का वरदान तू है
नारी तू महान है नारी तू महान है
सृजन से तू ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
ऋतु दुबे 07;03;2013
सृजन से तू रची बसी है
भर से तू दबी दबी है
पंखा लगे है तुझको
फिर भी उड़ने से तू डरी डरी है .....
सृजन से तू ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
धरा सी तू संसार का भर लिए
जन्म देती संतानों को
न तुझे मिले रोटी का टुकड़ा
फिर भी दुध बहता तेरी
तेरी छाती से संतानों के लिए
सृजन से तू ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
बनता है पुरुष तुझे से महान
फिर भी तू है तुच्छ प्राणी सी
ज्ञान का भंडार होकर
अज्ञानता की मूरत बनती
सृजन से तू ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
शक्तिमान को जन्म देकर
शक्तिहीन तू जीवन जीती
सृष्टि का वरदान तू है
नारी तू महान है नारी तू महान है
सृजन से तू ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
ऋतु दुबे 07;03;2013