चक्षु में आश्रु भर कर जोउ बाट तिहारी
तुम कब आओगे मेरे द्वार गिरधारी
तेरी मुरली की मधुरी
कब घोलेगी रस मेरे कानो में
तुम कब अधरों में लेकर बंसी
आवोगे यमुना तट पर
तेरी तानो में कब नाचेगी
राधा हो कर अलबेली
कब गोपिया अधरों में धर के हास्य
बोलेगी मत कर परिहास गिरधारी
कब मधुप यमुना के कमल दल
में हो कर मतवाले करेगे गुंजार तेरी महिमा के
कब फिर गाय ग्वालो संग
चरेगी यमुना के तट पर