न हो तू जो मेरे सामने ,दिल डूब सा जाता है ,
एक लम्हा मुझे एक सदी का अहसास करा जाता है .
मेरी जिंदगी तो रेगिस्तान के कैक्ट्स सी थी ,
तेरा अहसास इस कैक्ट्स मै फूल खिला जाता है .
हर जगह तू नजर आता है , तेरा नाम पहले आता है ,
और उन्हें हमें अनदेखा करने मे मजा आता है .
न जाने क्यू ये अनहोनी मेरे साथ हो गयी ,
जिंदगी की रफ़्तार एक ख़ूबसूरत मोड़ मे थम गयी .
तू हो सामने ये लम्हा यही रुक जाये दिल कहता है ,
तेरे प्यार के दरिया मे गोते लगाने का दिल कहता है .
तेरे रूठने के अहसास से भर से ये दिल डूबते चला जाता है ,
और वो है की हमें डूबते देखने मे मजा आता है .
इरा ऋतु दुबे १८ /०३/२०११/