वन वन आच्छादित पत्र बिहीन पेडो पर टेसू के फूल ,
मेरा ह्रदये भी रीता भावना रहित टेसू के पत्र विहीन पेड़ सा
टेसू की डालो डालो अब चिडियों का बसेरा ,
मेरे ह्रदय आँगन मे अब तक सोया सबेरा ,
महुवे की मादकता से वन भये मतवाले ,
ऋतुराज बसत का रंग है अनोखा ,
चाहू और है उमंग छाई मतवाली ,
गोरी के गालो मे छाई अबीर की लाली ,
अमररायियो में चली पुरवाई मतवाली ,
उमगो ने ली धीरे धीरे फिर अगड़ाई ,
पलाश के फूल विरहनी की ह्रदये मे आग जलाई ,
धधक उठा फिर हृदये की सुप्त अभिलाषाए ,
झर उठे गोरी की आँखों से भी टेसू के फूल.इरा ऋतु पांडे २१/०३/२०११
मेरा ह्रदये भी रीता भावना रहित टेसू के पत्र विहीन पेड़ सा
टेसू की डालो डालो अब चिडियों का बसेरा ,
मेरे ह्रदय आँगन मे अब तक सोया सबेरा ,
महुवे की मादकता से वन भये मतवाले ,
ऋतुराज बसत का रंग है अनोखा ,
चाहू और है उमंग छाई मतवाली ,
गोरी के गालो मे छाई अबीर की लाली ,
अमररायियो में चली पुरवाई मतवाली ,
उमगो ने ली धीरे धीरे फिर अगड़ाई ,
पलाश के फूल विरहनी की ह्रदये मे आग जलाई ,
धधक उठा फिर हृदये की सुप्त अभिलाषाए ,
झर उठे गोरी की आँखों से भी टेसू के फूल.इरा ऋतु पांडे २१/०३/२०११