सोमवार, 21 मार्च 2011

टेसू के फूल


वन वन आच्छादित पत्र बिहीन पेडो पर टेसू के फूल ,
मेरा ह्रदये भी रीता भावना रहित टेसू के पत्र विहीन  पेड़ सा
टेसू  की डालो डालो अब चिडियों का बसेरा ,
मेरे ह्रदय आँगन मे अब तक सोया सबेरा ,
महुवे की मादकता से वन भये  मतवाले ,
ऋतुराज बसत का रंग है अनोखा ,
चाहू और है उमंग  छाई  मतवाली ,
गोरी के गालो मे छाई अबीर की लाली ,
अमररायियो  में चली  पुरवाई मतवाली ,
उमगो ने ली धीरे धीरे  फिर अगड़ाई ,
पलाश के फूल विरहनी की ह्रदये मे आग जलाई ,
धधक उठा फिर हृदये की सुप्त अभिलाषाए ,
झर उठे गोरी की आँखों से भी टेसू  के फूल.इरा ऋतु पांडे २१/०३/२०११