मंगलवार, 27 अक्तूबर 2015

कभी  जो  चेेहरे  अजनबी  हुआ  करते  थे  वो अब  अपने  से लगते है
जो अपने है खुदा  के  रिश्ते वो अजनबी  सा  मिज़ाज  रखते है ,
कौन अपना  खून है कौन अपना बेगाना मसाला  ये नहीं है मेरे यार
मसाला तो ये है अपने गैरो  सा और गैर अपनों सा प्यार  क्यू समेटे रहते है। ऋतु दुबे