Drritu Dubey
ऐ री सखी वो कब आयेगे
दादुर सम्मलित स्वर में कब गायेगे
कब चातक की प्यासा बुझेगी
कब पपीहे खुशियों के गीत गायेगा
...................................... ऐ रे सखी
फिर पनघट में होगी रौनक कब
छल छल करेगी सरिता फिर कब
मस्त पवन के झोके में मेहदी की खुशूब कब आएगी
वीर बहूटी हरी घासों में कब छाएगी
..........................................ऐ री सखी
उपवन मधुबन कब बन जायेगे
झिगुर रातो में कब गायेगे
कब चमेली की खुशूब से भरेगा मेरा आँगन
सावन के झूलो में बहार कब आएगी
...................................आर री सखी
झरनों में यौवन कब छ्येगा
प्रीत के दिन फिर कब आयेगे
गोरी के गालो में अम्बर की लाली कब छाएगी
अब के बरस सावन तू कब आएगा
............................................ ऐ री सखी .
ऋतु दुबे ०७ .०७.२०१२
ऐ री सखी वो कब आयेगे
दादुर सम्मलित स्वर में कब गायेगे
कब चातक की प्यासा बुझेगी
कब पपीहे खुशियों के गीत गायेगा
...................................... ऐ रे सखी
फिर पनघट में होगी रौनक कब
छल छल करेगी सरिता फिर कब
मस्त पवन के झोके में मेहदी की खुशूब कब आएगी
वीर बहूटी हरी घासों में कब छाएगी
..........................................ऐ री सखी
उपवन मधुबन कब बन जायेगे
झिगुर रातो में कब गायेगे
कब चमेली की खुशूब से भरेगा मेरा आँगन
सावन के झूलो में बहार कब आएगी
...................................आर री सखी
झरनों में यौवन कब छ्येगा
प्रीत के दिन फिर कब आयेगे
गोरी के गालो में अम्बर की लाली कब छाएगी
अब के बरस सावन तू कब आएगा
............................................ ऐ री सखी .
ऋतु दुबे ०७ .०७.२०१२
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें