तेरा साथ हो तो काँटों में चलाना आता है मुझे
पथ में पत्थर बिखरे तो तो फूल बनाना आता है मुझे
तपिस आदित्य की हो तो चांदनी रात बनाना आता है मुझे
तेरा साथ हो तो .................................................
........................................................................
नदियों को बहवो के बिपरीत बहाना आता है मुझे
समुन्दर की लहरों को हाथो में ले खेलना आता है मुझे
असमान से चाँद को जमी में लाना आता है मुझे
एक तेरा साथ हो तो .........................................
......................................................................
पत्थर से पानी निकलना आता है मुझे
तेरे लिए सिर्फ तेरे लिए देवो को जमी पर उतरना आता है मुझे
केक्टस में भी फूल खिलाना आता है मुझे !!
तेरा साथ हो तो ....................................
.......................................................ऋतु दुबे
पथ में पत्थर बिखरे तो तो फूल बनाना आता है मुझे
तपिस आदित्य की हो तो चांदनी रात बनाना आता है मुझे
तेरा साथ हो तो .................................................
........................................................................
नदियों को बहवो के बिपरीत बहाना आता है मुझे
समुन्दर की लहरों को हाथो में ले खेलना आता है मुझे
असमान से चाँद को जमी में लाना आता है मुझे
एक तेरा साथ हो तो .........................................
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पत्थर से पानी निकलना आता है मुझे
तेरे लिए सिर्फ तेरे लिए देवो को जमी पर उतरना आता है मुझे
केक्टस में भी फूल खिलाना आता है मुझे !!
तेरा साथ हो तो ....................................
.......................................................ऋतु दुबे
2 टिप्पणियां:
बहत सुंदर -बहुत खूबसूरत भाव भीनी रचना ---उनका साथ हो तो सब असंभव -संभव हो जाते है
Bahut badiya.......
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