चारो ओर जब खामोशिय हो
सिसकियो का सिलसिला हो
न बहते हो आसू
फिर भी नयन रोते हो
दिल में कसक हो
यादो में न चाहते हुवे भी तुम हो
चाँद की चंदिनी भी
शोलो सी तपिस दे
तारो की छाया भी
दर्द का कसकना दे
सिसकियो का सिलसिला हो
न बहते हो आसू
फिर भी नयन रोते हो
दिल में कसक हो
यादो में न चाहते हुवे भी तुम हो
चाँद की चंदिनी भी
शोलो सी तपिस दे
तारो की छाया भी
दर्द का कसकना दे
शीतल हवा के झोके भी
लू सी लगे
प्यार की झील
मृग त्रिशना सी
दिल को बहलाए
नादा दिल ये
कैसे इन सब से भरमाये
तेरी ही तेरी याद दिलाये ......
,,,,,,,,,,,,चारो ओर जब ...................ऋतु
लू सी लगे
प्यार की झील
मृग त्रिशना सी
दिल को बहलाए
नादा दिल ये
कैसे इन सब से भरमाये
तेरी ही तेरी याद दिलाये ......
,,,,,,,,,,,,चारो ओर जब ...................ऋतु
1 टिप्पणी:
न बहते हो आंसू तब भी नयन रोते हैं -क्या बात कही है आपने -बहुत सुंदर रचना
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