मंगलवार, 28 अगस्त 2012

चारो ओर जब खामोशिय हो 
सिसकियो का सिलसिला हो 
न बहते हो आसू 
फिर भी नयन रोते हो 
दिल में कसक हो 
यादो में न चाहते हुवे भी तुम हो 
चाँद की चंदिनी भी 
शोलो सी तपिस दे 
तारो की छाया भी 
दर्द का कसकना दे 

शीतल हवा के झोके भी
लू सी लगे
प्यार की झील
मृग त्रिशना सी
दिल को बहलाए
नादा दिल ये
कैसे इन सब से भरमाये
तेरी ही तेरी याद दिलाये ......
,,,,,,,,,,,,चारो ओर जब ...................ऋतु

1 टिप्पणी:

Aditi Poonam ने कहा…

न बहते हो आंसू तब भी नयन रोते हैं -क्या बात कही है आपने -बहुत सुंदर रचना