उन की निगाहो से छलकता है प्यार का पैमाना मेरे लिए
लबो पर होती है तब्बसुम मेरे लिए
नहीं है तो अल्फ़ाज़ उन के पास
इज़हारे मोहब्ब्त करने को
पर हर बार सुनाने को बेताब रहते है वो
मुझे से ही इजहार मोहब्बत सुनने को। ऋतु दुबे
लबो पर होती है तब्बसुम मेरे लिए
नहीं है तो अल्फ़ाज़ उन के पास
इज़हारे मोहब्ब्त करने को
पर हर बार सुनाने को बेताब रहते है वो
मुझे से ही इजहार मोहब्बत सुनने को। ऋतु दुबे
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें