नारी हू मै कोमल मन ,कोमल काया, कोमल ह्रदये पाया,
मै ही अनन्त आकाश ,असीमित धरा मै ही ,
मै ही अनन्त आकाश ,असीमित धरा मै ही ,
ज्वालावो से जल ज्वाला बनी मै ,बांहों मै तेरी शांत निर्झरनी,
कोमल आँगन का हर कोना महकता भावों के पुष्पों से,
आँचल का हर कोना तेरी खुशियों से हरा भरा,
तुझ मै खुद को खुद मै तुझ को समेटना चाहती हूँ ,
तुझ मै खुद को समाहित कर पूण होना चाहती हूँ ,
नारी हू मै कोमलागी वेदना पीड़ा अपने मन की,
तुझ ने दी तुझे को ही अर्पित करना चाहती हूँ ,
क्या हुवा जो तुने जनम लिया मेरी कोख से,
तेरी परछाई बन तेरी मन की अभिमान बनाना चाहती हूँ ,
नारी हू मै अगले जनम नारी ही बनाना चाहती हूँ ,
तेरी हूँ तुझ को ही अर्पित होना चाहती हूँ .(इरा पाण्डेय )ऋतु दुबे ०७/०३/2011
महिला दिवस की पूर्व संध्या पर आप सभी महिलावो को समर्पित.महिला दिवस की शुभकामना .
7 टिप्पणियां:
Very Good !!
Very Good !
achhi abhivyakti man ke bhavon ko darshti hui
bahut khub...!!
bahut khoob
नारी होना तो स्वाभाविक रूप से इश्वर की असीम अनुकम्पा है ,
नारी का तो शुरू से ही अर्पण होना जैसे प्रकृति ने सुनिश्चित कर दिया हो ,
बचपन में खेलते-२ भी घर के लोगों की छोटी-२ सेवा , शायद इसे सिखाने की भी जरुरत नहीं पड़ती ,
फिर जवानी ... प्रक्रति की अनमोल तोहफा , सौंदर्य की प्रतिमूर्ति ,
फिर माँ की ममता , जिसका पुरे ब्रह्मांड में कोई मिसाल नहीं ,
अंत-२ तक सबको अर्पण करने की अभिलाषा ...
ओह .. क्या इश्वर की किसी अन्य रचनाओं में इसकी परछाईं भी मिल सकती है ????????
नारी होना तो स्वाभाविक रूप से इश्वर की असीम अनुकम्पा है ,
नारी का तो शुरू से ही अर्पण होना जैसे प्रकृति ने सुनिश्चित कर दिया हो ,
बचपन में खेलते-२ भी घर के लोगों की छोटी-२ सेवा , शायद इसे सिखाने की भी जरुरत नहीं पड़ती ,
फिर जवानी ... प्रक्रति की अनमोल तोहफा , सौंदर्य की प्रतिमूर्ति ,
फिर माँ की ममता , जिसका पुरे ब्रह्मांड में कोई मिसाल नहीं ,
अंत-२ तक सबको अर्पण करने की अभिलाषा ...
ओह .. क्या इश्वर की किसी अन्य रचनाओं में इसकी परछाईं भी मिल सकती है ????????
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