शनिवार, 10 मार्च 2012

सितारा


सितारा

  अक्सर जब में और  मेरी तन्हाई
  साथ होते है
 खुले आँगन  के नीचे
  तुम्हारी साये में बैठ
   तुम्हारी ही बाते करते है
  तुम असमान से मुझे
  बाँहे फैलाये मुझे पुकारते हो
  में जमीन में खडी
  अल्पक तुम्हारी  ओर
  बेबसी से निहारती रहती हु
  और  सोचती हु क्या
  एक असमान  में रहने वाला
  कभी
  जमीं पर उतर सकता है
  या जमीन की ये
  काया असमान
  के उस सितारे
  की बांहों  में
 खो सकती है
                --------- अक्सर जब में
----------------------------ऋतु  दुबे