सितारा
अक्सर जब में और मेरी तन्हाई
साथ होते है
खुले आँगन के नीचे
तुम्हारी साये में बैठ
तुम्हारी ही बाते करते है
तुम असमान से मुझे
बाँहे फैलाये मुझे पुकारते हो
में जमीन में खडी
अल्पक तुम्हारी ओर
बेबसी से निहारती रहती हु
और सोचती हु क्या
एक असमान में रहने वाला
कभी
जमीं पर उतर सकता है
या जमीन की ये
काया असमान
के उस सितारे
की बांहों में
खो सकती है
--------- अक्सर जब में
----------------------------ऋतु दुबे
1 टिप्पणी:
bahut sundar ....!!1
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