विदा .........................................
विदा की इस बेला में
नैनों में नीर भरे
थम गयी कही रागिनी है
रूठ गया चपल नृत्य कही
तुम अब भी हो दूर खड़े
उखड़े उखड़े रूठे से
विदा की इस ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
नवजीवन तुम्हारा मंगलमय हो
प्रीत तुम्हारी आजीवन हो
भूल कर मेरे ह्रदय की कठनाईयो को
उन प्राणों में बस जावो तुम
नवजीवन ,नई डगर में
साथ हो हर पल जीत तुम्हारे
याद न आऊ में कभी
विदा की इस ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
दृग क्यू न हो सजल सजल
तेरे इन्द धनुष की आभा हो बिखरी बिखरी
दिल हो भले मेरा प्रपात में डूबता
नए सपनो नयी किरणों से सजे तेरा जीवन
मेरे सपने विराना पकडे खो जाये अंजन पथ पर
विदा की इस ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
रहे तू हर धडी मुखर मुखर
दिल में मेरे चल रख प्रलय हो
तू गोता लगाये रोशननाईयो में
में रजनी की आगोश में खो जाऊ
तू शंख भेरू बजा स्वागत कर नवजीवन का
में क्रंदन से बहलाती रहू दिल अपना
विदा की इस बेला मे ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, ऋतु 5मार्च
विदा की इस बेला में
नैनों में नीर भरे
थम गयी कही रागिनी है
रूठ गया चपल नृत्य कही
तुम अब भी हो दूर खड़े
उखड़े उखड़े रूठे से
विदा की इस ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
नवजीवन तुम्हारा मंगलमय हो
प्रीत तुम्हारी आजीवन हो
भूल कर मेरे ह्रदय की कठनाईयो को
उन प्राणों में बस जावो तुम
नवजीवन ,नई डगर में
साथ हो हर पल जीत तुम्हारे
याद न आऊ में कभी
विदा की इस ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
दृग क्यू न हो सजल सजल
तेरे इन्द धनुष की आभा हो बिखरी बिखरी
दिल हो भले मेरा प्रपात में डूबता
नए सपनो नयी किरणों से सजे तेरा जीवन
मेरे सपने विराना पकडे खो जाये अंजन पथ पर
विदा की इस ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
रहे तू हर धडी मुखर मुखर
दिल में मेरे चल रख प्रलय हो
तू गोता लगाये रोशननाईयो में
में रजनी की आगोश में खो जाऊ
तू शंख भेरू बजा स्वागत कर नवजीवन का
में क्रंदन से बहलाती रहू दिल अपना
विदा की इस बेला मे ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, ऋतु 5मार्च
2 टिप्पणियां:
इतने दिनों से ब्लॉगर से क्यों गायब थी आप ,
बहुत सुंदर विदाई गीत इरा ,
आँखें नाम हो आइ..........
साभार.........
बहुत सुंदर विदाई :::::
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