jo dill me aa gaya
कब मन भटक के एक ठौर पा लिया
कब कदम बहक के मंजिल को पा लिए
कोशिश तो कम न की थी मगर हम ने
समुन्दर की चाहत थी नदिया को पा लिया
टूट के बिखरे तो किस के आगोश में
जिन्हें सपनों में देखा था ,हकीकत में पा लिया .ऋतु 18/03/13
कुछ को सपने पूरा करने में मेहतन लगाती है
कुछ के यु ही पुरे हो जाते,, है कुछ अधूरे जाते है
कुछ दिल को काला, जुबा को साफ रखते है कुछ भावों को साफ दिखा, के दिलो में मलाल रखते है
हम दिल के साफ बोले के, कड़वी जुबान बुरे हो जाते है .ऋतु
2 टिप्पणियां:
बहुत उम्दा इरा ,
इंसानी फितरत को बयान करती
खूबसूरत रचना .......
साभार...
बहुत उम्दा इरा ,
इंसानी फितरत को बयान करती
खूबसूरत रचना .......
साभार...
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