अब तो टूटे रिश्तो को जोड़ने से डर लगता है ,गाठो को खोलने से डर लगता है
उलझ जाये न जिन्दिगी और उन में ,अब तो दोस्तों के नाम से डर लगता है .
__________________________ऋतु __________________________
उलझ जाये न जिन्दिगी और उन में ,अब तो दोस्तों के नाम से डर लगता है .
__________________________ऋतु __________________________
आता है हुनर हमें अकेले पथ पर दूर तक जाने का ,
क्यू की किसी के साथ छूटने का डर नहीं होता .ऋतु
क्यू की किसी के साथ छूटने का डर नहीं होता .ऋतु
तुझे चाहत के समुन्दर में डुबोदेगे हम पहले तैरना तो सीख ले
फिर ये न कहना की डुबोना ही था तो प्यार क्यू किया .
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4 टिप्पणियां:
bahut hi shadaar baat.......
बहुत खूब...
बहुत खूब...
wah kya khoob likha...
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