एक कवच में बंद थी में अपने पंखो के सहित
उस कवच से तूने मुझे बहार निकल ये रंगीन दुनिया दिखाई
फिर अचानक तेरा मन भर गया और
मुझे फिर अधेरो मे गुम हो जाने पर विवश कर रहा
इन दिनों तेरे खयालो में डूबी हुई में ने अपने अरमानो को रंग भरा
अपनी उड़न को एक नया अंदाज दिया अपनी पहचान को तेरा नाम दिया
अपूर्ण से पूर्ण हुई मै से हम हुई
मेरा आँचल तेरे उपवन के पुष्पों की महक से गमक उठा
क्यू दर्द की सरिता में डूबना चहता है तू
मिलन तो सरिता की किस्मत में समुन्दर से है
तू ही तो मेरी चाह्त का समुन्दर है
क्यू मुझे असुवो के समुन्दर में डुबोना चहता है
पल भर के लिए ये अहसास करा मेरा है तू
क्यू किसी और का साथ चाहता है
नजदीकियों के बीच ये दूरियों का फासला क्यू है
तुझे ले कर मेरे मन में प्रश्न और दुविधा क्यू है
कवच में बंद ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
,,,,,,,,,,,,,,,,ऋतु इरा ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
उस कवच से तूने मुझे बहार निकल ये रंगीन दुनिया दिखाई
फिर अचानक तेरा मन भर गया और
मुझे फिर अधेरो मे गुम हो जाने पर विवश कर रहा
इन दिनों तेरे खयालो में डूबी हुई में ने अपने अरमानो को रंग भरा
अपनी उड़न को एक नया अंदाज दिया अपनी पहचान को तेरा नाम दिया
अपूर्ण से पूर्ण हुई मै से हम हुई
मेरा आँचल तेरे उपवन के पुष्पों की महक से गमक उठा
क्यू दर्द की सरिता में डूबना चहता है तू
मिलन तो सरिता की किस्मत में समुन्दर से है
तू ही तो मेरी चाह्त का समुन्दर है
क्यू मुझे असुवो के समुन्दर में डुबोना चहता है
पल भर के लिए ये अहसास करा मेरा है तू
क्यू किसी और का साथ चाहता है
नजदीकियों के बीच ये दूरियों का फासला क्यू है
तुझे ले कर मेरे मन में प्रश्न और दुविधा क्यू है
कवच में बंद ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
,,,,,,,,,,,,,,,,ऋतु इरा ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
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