चुपके चुपके कब उस के आगोश में खुद को खोती गयी में
ये क्या हुवा मुझे को न दिन का ज्ञान न रात का भान
उस के रंग में खो के खुद का रंग रूप खोती गयी
उस को मुकदर समझ जीवन का हसीन ख्वाब बुनती गयी।
न टूटे ख्वाब मेरा ,जब टूटे नींद मेरी ये दुआ करना
मेरे मीत मेरी प्रीत का बस इतना मान रखना
तुम में बसा है मेरा विश्वास उस की लाज रखना। ऋतु दुबे
ये क्या हुवा मुझे को न दिन का ज्ञान न रात का भान
उस के रंग में खो के खुद का रंग रूप खोती गयी
उस को मुकदर समझ जीवन का हसीन ख्वाब बुनती गयी।
न टूटे ख्वाब मेरा ,जब टूटे नींद मेरी ये दुआ करना
मेरे मीत मेरी प्रीत का बस इतना मान रखना
तुम में बसा है मेरा विश्वास उस की लाज रखना। ऋतु दुबे
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