अल्फाजो को यु घुमा फ़िरा के न बोला करो
अगर मोहब्बत है हम से तो दो शब्दों में बयां करो
आती शर्म अगर ज़माने से तो सिर्फ निगाहो की भाषा में
हम से गुफ्फत गु किया करो अल्फाज़ो की जरुरत न होगी। ऋतु
अगर मोहब्बत है हम से तो दो शब्दों में बयां करो
आती शर्म अगर ज़माने से तो सिर्फ निगाहो की भाषा में
हम से गुफ्फत गु किया करो अल्फाज़ो की जरुरत न होगी। ऋतु
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