शनिवार, 30 जुलाई 2011

रिमझिम फुहार

               
                  रिमझिम फुहार में मन मयूर सा नाच रहा
                     बदलो की ओट से मेरा प्रियतम झांक रहा
                    अठखेलियाँ करती चपला मेरा दिल कंपा रहा
                     कलकल करती सरिताए नव संगीत लहरी छिड़ रही
                   हरियाली चुनर ओढ़ी धरा ने उस में बीरबहूटी सज रही
                   किसी कोने में छिपा मेरा बच्चपन अंगडाई ले रही
                  फिर कागज की नाव में प्यार की पतवार लिए
                प्यार की पतवार से जीवन नैया खे रहा .ऋतु दुबे

5 टिप्‍पणियां:

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

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इस ख़ूबसूरत रचना के लिए ऋतु दुबे जी को बधाई दूं अथवा इरा पांडेय दुबे जी को …

बहुत सुंदर !
मेरा भी रिमझिम फुहार में मन मयूर सा नाच रहा
आभार आपका …

हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !

-राजेन्द्र स्वर्णकार

S.N SHUKLA ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति , आभार

S.N SHUKLA ने कहा…

मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं,आपकी कलम निरंतर सार्थक सृजन में लगी रहे .
एस .एन. शुक्ल

S.N SHUKLA ने कहा…

भारतीय स्वाधीनता दिवस की शुभकामनाएं .

Ramanuj Dubey ने कहा…

Nice poem....