मेरा आईना भी मुझे से खौफ जादा है
मेरी ही आखो में न जाने क्यू पर्दा पड़ा है
जो हकीकत न स्वीकार कर खुद की तारीफ करता है
खुद को देख तारीफ के पुल बंधता है
उस के आँखों में खुद के सपने देखता है क्यू .ritu
मेरी ही आखो में न जाने क्यू पर्दा पड़ा है
जो हकीकत न स्वीकार कर खुद की तारीफ करता है
खुद को देख तारीफ के पुल बंधता है
उस के आँखों में खुद के सपने देखता है क्यू .ritu
1 टिप्पणी:
अपनी सुन्दर कविताओं का दस्तावेजीकरण का यह कार्य निरंतर रखें.
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