जिन्दगी की के रंगीन पेज ही क्यू अच्छे लगते है
गम न हो तो क्या ख़ुशी के मायने तुम को समझते है
हर मौसम का मजा अपना है
न हो बारिश तो क्या हर वक़्त की बहार अच्छी है
जो न तपता ये सूरज तो क्या खिलखिलाता ये गुलमोहर
न ढलता ये सूरज तो टिमटिमाते क्या तारे
क्या चाँद की सुन्दरता न रहा जाती छिपी
न बहती नदिया प्यासा न रहा जाता समुद्र
फिर ऋतु क्यू घबराती है तेरा ही परिवर्तन है
जीवन की डगर में कभी धूप कभी छांव है .ऋतु
गम न हो तो क्या ख़ुशी के मायने तुम को समझते है
हर मौसम का मजा अपना है
न हो बारिश तो क्या हर वक़्त की बहार अच्छी है
जो न तपता ये सूरज तो क्या खिलखिलाता ये गुलमोहर
न ढलता ये सूरज तो टिमटिमाते क्या तारे
क्या चाँद की सुन्दरता न रहा जाती छिपी
न बहती नदिया प्यासा न रहा जाता समुद्र
फिर ऋतु क्यू घबराती है तेरा ही परिवर्तन है
जीवन की डगर में कभी धूप कभी छांव है .ऋतु
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