जिन्दगी के हर पलो को सालो में जीती हु में
नयी सुबह की नयी रागिनी के धुन में
खुद को मोतियों सा फिरोती हु में
खुशियों के ताजे झोको को महसूस करती
दर्द को अन्दर ही अन्दर पीती हु में
अब ये दर्द भी डर सा गया है मुझे से
खुशियों की आहट फिर सुनती हु में .ऋतु
नयी सुबह की नयी रागिनी के धुन में
खुद को मोतियों सा फिरोती हु में
खुशियों के ताजे झोको को महसूस करती
दर्द को अन्दर ही अन्दर पीती हु में
अब ये दर्द भी डर सा गया है मुझे से
खुशियों की आहट फिर सुनती हु में .ऋतु
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