रात भर मै चाँद को निहारती रही
तारो को देखा इतराती रही
चाँद भी मेरी इस मासूमियत पर
रीझ गया ,शरमा के बदलो के पीछे छिप गया
में उसे दिल की बात बताती रही
वो मंद मंद मुस्कुराता रहा
जो बयाँ न कर सकती अब तक
मै प्रीतम के सामने
दिल खोल के उसे दिखाती रही
..............रात भर ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, ,,,,,,,,,ऋतु
तारो को देखा इतराती रही
चाँद भी मेरी इस मासूमियत पर
रीझ गया ,शरमा के बदलो के पीछे छिप गया
में उसे दिल की बात बताती रही
वो मंद मंद मुस्कुराता रहा
जो बयाँ न कर सकती अब तक
मै प्रीतम के सामने
दिल खोल के उसे दिखाती रही
..............रात भर ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
1 टिप्पणी:
ati-sundar
एक टिप्पणी भेजें