मिलने से पहले बिछुड़ने का मौसम आता है
बहार से पहले पतझर का मौसम आता है
जुदा होते है जर्द पत्ते जब शाख से
नयी आशावो के नए कोपल आते है
जो दामन छुड़ा लोगे तुम हम से
मेरे कल्पना के नए राग छेड़ दोगे तुम
लेकिन साज तुम ही होगे
पत्ते वृक्ष बदला नहीं करते . ऋतु (इरा )
बहार से पहले पतझर का मौसम आता है
जुदा होते है जर्द पत्ते जब शाख से
नयी आशावो के नए कोपल आते है
जो दामन छुड़ा लोगे तुम हम से
मेरे कल्पना के नए राग छेड़ दोगे तुम
लेकिन साज तुम ही होगे
पत्ते वृक्ष बदला नहीं करते . ऋतु (इरा )
4 टिप्पणियां:
सार्थक सृजन , बधाई.
कृपया मेरे ब्लॉग"meri kavitayen" की नवीनतम पोस्ट पर भी पधारें , आभारी होऊंगा.
bahut sunder rachanaa aur utne hi sunder bhav
bahut khoobsoorat
बहुत सुंदर बात ....सुंदर विचार ...!!
शुभकामनायें ...!!
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