रविवार, 16 सितंबर 2012

मौसम बदलता है प्यार नहीं

मिलने से पहले बिछुड़ने का मौसम आता है 
बहार से पहले पतझर का मौसम आता है 
जुदा होते है जर्द पत्ते जब शाख से 
नयी आशावो के नए कोपल आते है 
जो दामन छुड़ा लोगे तुम हम से 
मेरे कल्पना के नए राग छेड़ दोगे तुम 
लेकिन साज तुम ही होगे 
पत्ते वृक्ष बदला नहीं करते . ऋतु (इरा )

4 टिप्‍पणियां:

S.N SHUKLA ने कहा…

सार्थक सृजन , बधाई.

कृपया मेरे ब्लॉग"meri kavitayen" की नवीनतम पोस्ट पर भी पधारें , आभारी होऊंगा.

aditipoonam@purvaai.blogspot.com ने कहा…

bahut sunder rachanaa aur utne hi sunder bhav

Aditi Poonam ने कहा…

bahut khoobsoorat

Anupama Tripathi ने कहा…

बहुत सुंदर बात ....सुंदर विचार ...!!

शुभकामनायें ...!!