दिल की धड़कने भी अब थमने पर आमदा है
कैसे उन को अनुमति दे दू जब अमानत ये तेरी है। ऋतु दुबे १२/४ /२०१४
मन की गहराईयो से सदा ये दुआ निकलती है तेरे लिए
पत्थर की ठोकर जो लगे तेरे पावो में तो गुलाब सी सहलाये। ऋतु दुबे
मेरा दर्द मेरे चेहरे में नजर आता है हर अपने को
एक तू ही सबसे अपना हो कर इस से अनजान बनता है। ऋतु दुबे
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