क्यू ख्वाबो के सहारे तुम ने मुझे पाना चाह
क्यू ख्वाब को हकीकत में न बदलना चाह
जो दिल मैं चाहत की आरजुवे उफान मरती
खुदा ही खुद हमे तुम से मिलाया होता.
क्यू ख्वाब को हकीकत में न बदलना चाह
जो दिल मैं चाहत की आरजुवे उफान मरती
खुदा ही खुद हमे तुम से मिलाया होता.
ख्वाब -तो ख्वाब है हकीकत में याद न कर
ख्वाब में देखा था जो मुस्कुरा कर
उस से हकीकत में फरियाद न कर
बिखर जायेगे तू ख्वाबो के ख्वाब देख कर
जीवन में खवाबो का एतबार न कर . इरा ऋतु दुबे १५/५/11
2 टिप्पणियां:
wah ritu...kya likhti ho...
nice dost ji :)
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