चक्षु में आश्रु भर कर जोउ बाट तिहारी
तुम कब आओगे मेरे द्वार गिरधारी
तेरी मुरली की मधुरी
कब घोलेगी रस मेरे कानो में
तुम कब अधरों में लेकर बंसी
आवोगे यमुना तट पर
तेरी तानो में कब नाचेगी
राधा हो कर अलबेली
कब गोपिया अधरों में धर के हास्य
बोलेगी मत कर परिहास गिरधारी
कब मधुप यमुना के कमल दल
में हो कर मतवाले करेगे गुंजार तेरी महिमा के
कब फिर गाय ग्वालो संग
चरेगी यमुना के तट पर
7 टिप्पणियां:
yek-yek lafz bemishal hain......
tum kab aaoge.....ar lafz bemishal...
बेहतरीन पोस्ट!!
thax ranjana ji ,aap ko meri rachana pasand aayi
thax aparna ji bahut bahut dhanywad aap ne meri rachana padhi aur sarahan ki
बहुत सुंदर भाव इरा....भक्ति रस से सरोबार...
कब आओगे तुम गिरिधारी....अँखियाँ बाट
निहारत हारीं ...कब आओगे...
thax aditi didi aap ne meri rachana padhi aur saharayi ,
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