कभी जो चेेहरे अजनबी हुआ करते थे वो अब अपने से लगते है
जो अपने है खुदा के रिश्ते वो अजनबी सा मिज़ाज रखते है ,
कौन अपना खून है कौन अपना बेगाना मसाला ये नहीं है मेरे यार
मसाला तो ये है अपने गैरो सा और गैर अपनों सा प्यार क्यू समेटे रहते है। ऋतु दुबे
जो अपने है खुदा के रिश्ते वो अजनबी सा मिज़ाज रखते है ,
कौन अपना खून है कौन अपना बेगाना मसाला ये नहीं है मेरे यार
मसाला तो ये है अपने गैरो सा और गैर अपनों सा प्यार क्यू समेटे रहते है। ऋतु दुबे